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तन्हा यादें
भूल जाता हूं खूद को
जब तुम्हे सोचता हूं
रात भी दिन बनता हैं
जब तुम्हे सुनता हूं
डर लगता हैं मुझे कही
जिन्दगी भूल ना जाऊ
तुम्हारी यादों में कही
दुरियों में तुम्हे कैसे पांऊ
अकेलेपण का सुकून
लगता हैं मेरा साया
वक्त ऐसे गुजारता हूं
जो भी मुझे रास आया
© Soman
जब तुम्हे सोचता हूं
रात भी दिन बनता हैं
जब तुम्हे सुनता हूं
डर लगता हैं मुझे कही
जिन्दगी भूल ना जाऊ
तुम्हारी यादों में कही
दुरियों में तुम्हे कैसे पांऊ
अकेलेपण का सुकून
लगता हैं मेरा साया
वक्त ऐसे गुजारता हूं
जो भी मुझे रास आया
© Soman
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