कितनी रातों के जागे हम…❤️
कितनी रातों के जागे हम तेरी बाहों मे आराम मिले
जो तेरे साथ मुक्कर्र हो मुझे वो ही शाम मिले
लोग कहते है मोहब्बत किसी फंदे से कम नहीं
हम हंसके झूल जाए बस उनका पैगाम मिले !!
कितनी रातों के जागे हम…
आती नहीं है रास हमें फुरसत जमाने की
जब से हो गई है आदत हमें तुम्हें चाहने की ...
जो तेरे साथ मुक्कर्र हो मुझे वो ही शाम मिले
लोग कहते है मोहब्बत किसी फंदे से कम नहीं
हम हंसके झूल जाए बस उनका पैगाम मिले !!
कितनी रातों के जागे हम…
आती नहीं है रास हमें फुरसत जमाने की
जब से हो गई है आदत हमें तुम्हें चाहने की ...