...

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सात फेरे।
काश सात फेरों का मतलब हर कोई समझ पाता,
तो आजकल हर घर किसी दूसरे के आने से टूट ना पता ,

न जाने

क्यों हर बार उम्मीद औरत से ही रखी जाती है?
क्या सात फेरों में वह अकेले ही घुमाई जाती है ?
क्यों उसे हर वचन अकेले ही निभाना पड़ता है ?
क्या उसे हर वचन अकेले ही दिलाया जाता है ?

सोच रही आज यह हर औरत है,
जो गुजर रही अत्याचार से है।

© Dolphin 🐬 (Prachi Goyal)