...

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कभी मैं ही बन जाता हूँ "वो"
बेवजह हर पल मुस्कराता है "वो",
ना जाने कौन सा ग़म छुपाता है वो।
तकलीफों का बोझ अपने सर रख,
बहुत दूर तक चला जाता है "वो"।
कहना तो बहुत कुछ चाहता है,
पर थोड़ा सहम जाता है "वो"।
ख़ुद ही...