...

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भोले बाबा का भजन
भोले का सहारा है, हमें जान से प्यारा है,
माँ गौरा संग सावन का नज़ारा है।

वो कैलास का वासी हैं, मेरा शिव अविनाशी है,
माँ गंगा, भोले चरणों की प्यासी है।

नंदी की सवारी है, बाबा त्रिपुरारि है,
शीश पे चंदा तेरे शोभा बड़ी न्यारी है।

सृष्टि को रचाया है, विष गले से लगाया है,
अर्द्धनारीश्वर बाबा ने मेरे, संगीत बनाया है।

हाथ त्रिशूल रखता है, डमरू डमडम बजता है,
भूतों की टोली संग नंदी (बाबा) भी नचता है।

जो कोई मन से बुलाता है, बाबा पल में आ जाता है
बन के काल राक्षसों का सारे जग को बचाता है।

माह सावन का (जब) आता है, सारा जग हर्षाता है,
भक्त 'चेतन' तेरा, बाबा भजन बनाता है।

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet043