...

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सफर कुछ अलग नहीं
सफर कुछ अलग नहीं

कुछ यू सफर शुरू हुआ मेरा भी
कुछ जज्बात को उतारा पंनो पर मैंने भी

था समय कुछ इतना मुश्किल
न था कोई सुनने वाला मेरी भी

कोई था ही नहीं,
जिसे दिल का दर्द मै कह दूँ

कोई था ही नहीं
जिसे अपना हाल मैं बया कर दूं

बना लिया था, एक नया दोस्त मैंने भी
जिसको बता दिया, सारा दर्द मैंने भी

उस दोस्ती के दोस्ताने ने
बना दिया लेखक मुझे भी

था समय वो दसवीं के परिणाम का
परिणाम सुनकर, कुछ अपने ही रूठ गए

टूटी कुछ उमीदें उनकी भी,
टूटी गयी कुछ उमीद मेरे भी,

थी निराश मैं भी बहुत,
सारी निराशा बता दी, मैनें उसको भी

कुछ निराशा ने, कुछ पछतावे ने
कुछ करने की नयी लगन ने

बना दिया लेखक मुझे भी,
न पता था मुझे भी ,
कि बन जाऊँगी, मैं भी लेखक

किसी के सहारे ने, किसी की हिम्मत ने
किसी की प्रशंसा ने, किसी की विश्वास ने

हाँ बना दिया लेखक मुझे भी
कुछ यू ही सफर शुरू हुआ मेरा भी
© pandit's girl