" बाबा श्री सूरदास " #पद...
मो सम कौन कुटिल खल
कामी।
तुम सौं कहा छिपी
करुनामय,सब के अंतरजामी।
जो तन दियौ ताहि बिसरायौ,
ऐसौ नोनहरामी।
भरि भरि द्रोह विषय कौं
धावत, जैसैं सूकर ग्रामी।
सुनि सतसंग होत जिय आलस,
बिषयिनि सँ बिसरामी।
श्रीहरि-चरन छाँड़ि विमुखनि
की, निसिदिन करत गुलामी।
पापी परम, अधम, अपराधी,
सब पतितन मैं नामी।
सूरदास प्रभु अधम-उधारन,
सुनियै श्रीपति स्वामी।।
अर्थात्ः
यहां कवि कहते है कि है प्रभु मैं
तो कुटिल अर्थात् चालबाज हूं ,
परन्तु आप तो करुण हृदय वाले
हो । आप तो सबके अन्तर्यामी हो ।
फिर कहता है कि जैसे पता चलता
है कि कहीं सत्संग हो रहा है , वहां
लोग जाने के लिए आलस्य दिखाते
है । प्रभु के शरण को जिसने भी
छोड़ दिया है वह , उदासीनता
कि ही गुलामी कर रहा है । अतः
है प्रभु ! मैं अधम हूं ,मुझे अपने
शरण में ले लीजिए ।
© #Shivdiwani
कामी।
तुम सौं कहा छिपी
करुनामय,सब के अंतरजामी।
जो तन दियौ ताहि बिसरायौ,
ऐसौ नोनहरामी।
भरि भरि द्रोह विषय कौं
धावत, जैसैं सूकर ग्रामी।
सुनि सतसंग होत जिय आलस,
बिषयिनि सँ बिसरामी।
श्रीहरि-चरन छाँड़ि विमुखनि
की, निसिदिन करत गुलामी।
पापी परम, अधम, अपराधी,
सब पतितन मैं नामी।
सूरदास प्रभु अधम-उधारन,
सुनियै श्रीपति स्वामी।।
अर्थात्ः
यहां कवि कहते है कि है प्रभु मैं
तो कुटिल अर्थात् चालबाज हूं ,
परन्तु आप तो करुण हृदय वाले
हो । आप तो सबके अन्तर्यामी हो ।
फिर कहता है कि जैसे पता चलता
है कि कहीं सत्संग हो रहा है , वहां
लोग जाने के लिए आलस्य दिखाते
है । प्रभु के शरण को जिसने भी
छोड़ दिया है वह , उदासीनता
कि ही गुलामी कर रहा है । अतः
है प्रभु ! मैं अधम हूं ,मुझे अपने
शरण में ले लीजिए ।
© #Shivdiwani