...

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" बाबा श्री सूरदास " #पद...
मो सम कौन कुटिल खल

कामी।

तुम सौं कहा छिपी

करुनामय,सब के अंतरजामी।

जो तन दियौ ताहि बिसरायौ,

ऐसौ नोनहरामी।

भरि भरि द्रोह विषय कौं

धावत, जैसैं सूकर ग्रामी।

सुनि सतसंग होत जिय आलस,

बिषयिनि सँ बिसरामी।

श्रीहरि-चरन छाँड़ि विमुखनि

की, निसिदिन करत गुलामी।

पापी परम, अधम, अपराधी,

सब पतितन...