ललक अलख जगी जली
ललक अलख जगी जली ,,
उन्माद की उत्साह की ,,
मंजिल दिखी जो दूर है
ये राह ले हमें चली ,,
इधर उधर यहां वहां,
यू खो गया खयाल में,,
जकड़ लिया पकड़ लिया,,
असफलता की विचारों ने ,,
शिथिल - शिथिल पड़े कदम,,
जो रुक गया वह , थम गया,,
पाना था जिस मंजिल को
उसकी राहों में ही ...
उन्माद की उत्साह की ,,
मंजिल दिखी जो दूर है
ये राह ले हमें चली ,,
इधर उधर यहां वहां,
यू खो गया खयाल में,,
जकड़ लिया पकड़ लिया,,
असफलता की विचारों ने ,,
शिथिल - शिथिल पड़े कदम,,
जो रुक गया वह , थम गया,,
पाना था जिस मंजिल को
उसकी राहों में ही ...