...

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गीत बोझिल हुए जा रहे हैं।
स्वप्न मरूथल हुए जा रहे हैं,
रोज ही छल हुए जा रहे हैं।

सांस गा-गा के कहने लगी ,
गीत बोझिल हुए जा रहे हैं।

जब सियासत चली खोजने,
दोस्त कातिल हुए जा रहे है।

देख छत पर मेरे चाँद को,
लोग गाफि़ल हुए जा रहे हैं।

काम जो हैं जरूरी फिर क्यूं,
आज पर कल हुए जा रहे हैं।

जो हरे थे ,भरे थे .........वहीं,
देखो दलदल हुए जा रहे हैं।

उसको अपनी अना़ कब दिखे,
दूर दो दिल हुए जा रहे हैं।



© 💕ss
© 💕Ss