...

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सांसें चल रही हैं, पर ज़िंदगी ठहरी हुई है
क्यों समस्याएँ इतनी देनी हैं भगवान को कि इंसान इनके बोझ तले ही दबा रह जाए?
बाहर आना तो चाहे, पर आ न पाए,
और अगर बाहर आ भी जाए, तो बेफिक्र न रह पाए।

कुछ चीज़ें ऐसी हो जाती हैं कि उनका ख्याल आते ही साँसें थम जाएं,
जो बातें आप याद नहीं करना चाहते, वही बार-बार सामने आकर आपको खूब रुलाएँ।

आप चाहते हैं कि जल्द से जल्द इनसे मुक्त हो जाएँ,
लेकिन जितना भी भागने की कोशिश करें, ये उतना ही और सताएँ।

माना, ज़िंदगी का...