...

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ग़ज़ल
हो न हो इस बार कोई मोजिज़ा हो जायेगा
लम्हा लम्हा ज़िंदगी का ख़ुशनुमा हो जाएगा

अश्क़ ने तो दे दिया धोखा सर-ए-महफ़िल में अब
आँख में तिनका बता भी दूँ तो क्या हो जाएगा

वो अगर अफ़सुर्दगी का पूछ लें हमसे सबब
पत्ता पत्ता शाख़-ए-दिल का फिर हरा हो जाएगा

सज़दा करते वक़्त सोचा एक ही महबूब है
क्या करूँगा कल को गर वो भी ख़ुदा हो जाएगा

वो मुझे पहले सुबू में ही नज़र आने लगा
देखते ही देखते अब जा-ब-जा हो जाएगा

इश्क़ का ताबीज़ पहना कर नजूमी ने कहा
पाँच सौ का नोट दे, जा वो तेरा हो जाएगा

यूँ अगर हर एक मंज़र में तलाशेगा उसे
ऐन मुमकिन है तू “मौजी” बावला हो जाएगा

मोजिज़ा-चमत्कार
अफ़सुर्दगी-उदासी
सुबू-जाम
जा-ब-जा— हर जगह
नजूमी-भविष्यवक्ता

तरही ग़ज़ल.. बशीर बद्र साहब
@मनमौजी
#gajal #Shayari