वो खिड़की
बंद कमरे की ये खुली खिड़की
हल्की सी रोशनी देती हैं अंधेरों के बीच
देखता हूं हर रोज इस जहां की सुंदरता को
उगते हुए सूरज और हल्की सी हवा के झोकों को,
राह चलते पथिक और स्कूल जाते बच्चे
गाड़ियों की आवाज और सुबह का भोर
चहकती पंछि वन में नाचते हुए मोर
खुशियों से कर देते हैं मुझे भाव विभोर
छुप गया सूरज सड़क हो गई खाली
आज गई मैं प्ले शुरू हो गई कब्बाली
फिर उगेगा सूरज खुलेगी ये खिड़की
चिड़ियों की चहचहाहट और वन में बजेगी वंसी।।
© R.P
हल्की सी रोशनी देती हैं अंधेरों के बीच
देखता हूं हर रोज इस जहां की सुंदरता को
उगते हुए सूरज और हल्की सी हवा के झोकों को,
राह चलते पथिक और स्कूल जाते बच्चे
गाड़ियों की आवाज और सुबह का भोर
चहकती पंछि वन में नाचते हुए मोर
खुशियों से कर देते हैं मुझे भाव विभोर
छुप गया सूरज सड़क हो गई खाली
आज गई मैं प्ले शुरू हो गई कब्बाली
फिर उगेगा सूरज खुलेगी ये खिड़की
चिड़ियों की चहचहाहट और वन में बजेगी वंसी।।
© R.P