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दिल जला रखा है
ऐसे ही नहीं चिंगारियों से फासला रखा है,
दिलजला हूं, कइयों से दिल जला रखा है!
लानत है जवानी की इन नादानियों पे
राख में पाने को क्या और भला रखा है!
और हुस्न है कि फिर भी ये मानता नहीं ,
जज़बात पे काबू मन में हौसला रखा है!
सागर की दहलिज़ को तुम क्या पार करोगी,
चौखट पे पहरे के लिये ज़लज़ला रखा है!
© Sagar-Ocean Of Love
दिलजला हूं, कइयों से दिल जला रखा है!
लानत है जवानी की इन नादानियों पे
राख में पाने को क्या और भला रखा है!
और हुस्न है कि फिर भी ये मानता नहीं ,
जज़बात पे काबू मन में हौसला रखा है!
सागर की दहलिज़ को तुम क्या पार करोगी,
चौखट पे पहरे के लिये ज़लज़ला रखा है!
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