सात समंदर से ज्यादा पानी तो मेरे इन आखो में भरा है...By:- सागर राज गुप्ता। अधूरे अल्फ़ाज़ों के शहंशाह... सागर राज गुप्ता।
मैं तो नाम का जिंदा हूँ लेकिन ,मेरा रूह तड़प-तड़प के मरा है,
सात समंदर से ज्यादा पानी तो मेरे इन आँखो में भरा है।
जिन्होंने प्यार में दर्द दिया, मरहम उन्ही के पास था।
ख़ुदा ने तो खुशियो से उन्हें नवाज़ा था, उनका सारा गम तो मेरे पास था।
आखिर क्यो इतना दर्द होता है सीने में मोहब्बत में बेवफाई के दौरान,
जबकि मेरा दिल उस समय मेरे पास नहीं उन्ही के पास था।
अब ना लगाऊंगा किसी से दिल क्योकि मेरा दिल अब बहुत डरा है.....
सात समंदर से ज्यादा पानी तो मेरे इन आँखो में भरा है।
जब तुम चुपके - चुपके मेरे पीछे आती थी,
ज्येष्ठ मास की गरमी भी बसंत की सुहानी पल बन जाती थी,
राम-सीता ,राधा- कृष्ण की तरह पावन जोड़ी थी हमारी,...
सात समंदर से ज्यादा पानी तो मेरे इन आँखो में भरा है।
जिन्होंने प्यार में दर्द दिया, मरहम उन्ही के पास था।
ख़ुदा ने तो खुशियो से उन्हें नवाज़ा था, उनका सारा गम तो मेरे पास था।
आखिर क्यो इतना दर्द होता है सीने में मोहब्बत में बेवफाई के दौरान,
जबकि मेरा दिल उस समय मेरे पास नहीं उन्ही के पास था।
अब ना लगाऊंगा किसी से दिल क्योकि मेरा दिल अब बहुत डरा है.....
सात समंदर से ज्यादा पानी तो मेरे इन आँखो में भरा है।
जब तुम चुपके - चुपके मेरे पीछे आती थी,
ज्येष्ठ मास की गरमी भी बसंत की सुहानी पल बन जाती थी,
राम-सीता ,राधा- कृष्ण की तरह पावन जोड़ी थी हमारी,...