...

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मैं तुम्हारा कोई नहीं
मैं तुम्हारा कोई नहीं !
पर तुम ,मेरे लिए सब कुछ हो
ऐ मेरे प्यारे दोस्त !
इक परिंदा हूँ मैं ,परथके टुर जाऊँगा !
कमी खलेगी मेरे दोस्त, बहुत याद आऊंगा !
कभी चश्मों,कभी चिनारों को तकेंगीं अंखियां ;
कभी धारों,कभी सितारों में नज़र आऊंगा !
कमी खलेगी मेरे दोस्त,बहुत याद आऊंगा !
माना ,आज मैं तुम्हारे रास्ते का
एक पत्थर ही सही ;
यूँ ठोकर तो न मारो हमको !
हाथ बढ़ाके देखो तो सही ;
तराशा गया तो हीरा कहलाऊंगा !
गढ़ा गया तो देवता बन जाऊँगा !
कमी खलेगी मेरे दोस्त,
बहुत याद आऊंगा !
माना ये ज़िन्दगी, दुःख का इक दरिया ही सही ;
अपनी आँखों में सहेज लो मुझको !
पल्कों से गिरा तो आंसू बन जाऊँगा ;
होठों तक पहुंचूंगा और मुस्कान लेके आऊंगा !
कमी खलेगी मेरे दोस्त ,बहुत याद आऊंगा !
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---Brijendra Kanojia

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