...

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मित्र के लायक ?
उसे पुकारो ,मित्र नाम से
जो क़द्र करे तुम्हारी ,
वरना किसी दिन करनी पड़ेगी
खड़ी खोटी सुनने की तैयारी |

हमसे अच्छे तो है मासूम बच्चे
होता ना जिसमे अहंकार
कितने भी झगड़े करें पर
खेलने आते संग बार -बार |

प्रश्न यही शर्मनाक भरी
कि क्या हैं हम सभ्य इंसान ?
घृणा ,द्वेष खुद के अंदर
फिर भी, करते दुसरो का अपमान |

मत देना तुम अच्छी सलाह
बचालो उनसे जान ,
क्योंकि ,कुछ लोग अभी भी हैं जिन्दा
जो करते ,मित्र अर्थ का बदनाम |


© अविनाश कुमार साह
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