...

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आज का सच
कौन हो तुम, क्या हो तुम ये भला कोई आज कैसे जाने
दिल में कोई झांकता नहीं दिखावटी मुखौटे को ही सच माने
प्यार और अपनापन खो रहे वजूद आज इस समाज में
भेट चढ़ रहे स्वार्थ को सारे रिश्ते, नाते और अपने....
© unknown_writes