...

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हंसी के पुष्प
ढ़ाये बेपनाह कहर,
उदासियों का अजब सफ़र।
बेतकल्लुफ होकर,
दीजिए,उस को मात अक्सर।

दीन हीन मत बनिए,
हंसी के पुष्पों को ही चुनिए।
मायूसियों को भगायें,
हमदर्दों की महफ़िलें सजायें।

जायेंगी बहुत सिखा,
रख खुला हृदय का झरोखा।
हैं पलभर की मेहमां,
भरोसे से आयेगा,मधुर समां।

करिए बस नामंजूर,
लेकिन परित्याग कर गरूर।
हो सदा नतमस्तक,
चल भले हो काँटों भरी सड़क।
© Navneet Gill