मेरी मुझसे यही गुहार है
खुद में ढलने का हमने यूं ठाना
क्यूं भागू जहां मे जब मुझमें ही पूरा जमाना
मेरे रंग को मैने अब करीब से जाना
हर रंग का भाव मुझ में मैंने पहचाना
किताब सी गहरी मेरी जुबान का...
क्यूं भागू जहां मे जब मुझमें ही पूरा जमाना
मेरे रंग को मैने अब करीब से जाना
हर रंग का भाव मुझ में मैंने पहचाना
किताब सी गहरी मेरी जुबान का...