...

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यूं ही खुदको सरफ किये बैठे थे हम,
यूं ही आफत में पड़े थे हम,
बिना उनके उनकी बाहों के इंतजार में |

यूं ही भीगने को खड़े थे हम,
बिना मौसम बारिश के इंतजार में |

यूं ही खुदको सरफ किये बैठे थे हम,
बिना उनके उन तसव्वुर के इंतजार में |

कुछ ख्याल ही थे, जिन्हे आंखों में बसाये बैठे थे हम,
वरना क्यों इन आंखों को भीगाते किसी के इंतजार में ||


© adhoore khwab