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किसान और किसानी
जो बड़े-बड़े किस्से है, दिल चाहता है,,
उन्हें समेट के,
एक छोटे से हिस्से का किस्सा हो जाऊं।
सब हदे तोड़ के किसानों का हो जाऊं,
बहुतों की साज़िश का शिकार हूं।
"क्या करूं"
डर-डर के जीने से अच्छा
शिकार हो जाऊं।
© reality mirror
उन्हें समेट के,
एक छोटे से हिस्से का किस्सा हो जाऊं।
सब हदे तोड़ के किसानों का हो जाऊं,
बहुतों की साज़िश का शिकार हूं।
"क्या करूं"
डर-डर के जीने से अच्छा
शिकार हो जाऊं।
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