...

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स्त्री की उड़ान
#उड़ान

ये जिस्म है ना साहब कभी
इसके परे झांक के देखना
मुझमें भी आपकी तरह
सलाहियतें हैं चाहतें हैं
मुझमें भी आपकी तरह
खूबियाँ हैं ख्वाहिशें हैं
मुझमें भी आपकी तरह
हौसले हैं गुंजाइशें है
मेरी भी आपकी तरह
कोशिशें हैं आज़माइशें हैं
मेरे भी आप ही की तरह
उड़ने के ख़यालात हैं
अपने हिस्से के आसमाँ को
छूने को मचलते जज़्बात हैं
बस नही है तो आपकी तरह
पिंजरे के खुले ताले पर
मैं फिर भी उडूँगी और छूँगी
अपने हिस्से के आसमाँ को
इन पिंजरे और बेड़ियों के बाद भी…

©️डॉ.मनीषा मनी
© Dr.Manishaa Mani