...

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ग़ज़ल
गज़लों में सुन, इज़हार ए मोहब्बत
महफ़िल का कुछ देर तू भी मज़ा ले

होंगे कई चाहने वाले तुझको
मुझको भी इक बार तू आजमा ले

पर्दे में न रख, छुपा के ये चेहरा
संभलता नहीं दिल अब तो सम्भाले

तेरा हुस्न तुझको मैं गा के सुनाऊं
मेरे साथ तू भी ज़रा गुनगुना ले

लगाएगी पहरे इस दिल पे तू कितने
कर दे ये जागीर मेरे हवाले

गुलशन भी वीरान लगता है अब तो
इक बार फिर से ज़रा मुस्कुरा ले


© GULSHANPALCHAMBA