...

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रात के रंग
रात के रंग में ढल गए
ख्वाबों के नगरी चल गए

नजरें मिली इसबार भी
पत्थर दिल भी पिघल गए

जज़्बात सम्भल न सका मुझसे
नयन से नीर निकल गए

सच था या फिर झूठ
ख़्वावों से बाहर निकल गए

साथ थी पल भर पहले
जाने कहाँ दूजे पल गए
© sushant kushwaha