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आईना
अभी ज़रा सा पैर ज़मीन पर रखा ही था
की उस पर नज़र पड़ी
पूछा मैंने ...कि क्या देख रहे हो ?
वो हँस कर बोला
जो मै देख रहा हूँ बताऊँ तुम्हें..
हूँ ...कह कर मैं
सुनने लगी
ये तुम्हारे शाने पर झूलती ज़ुल्फ़ें
हलकी सी हवा से मचल जाती है
ये तेरी पलकों का उठना गिरना
तिरछी निगाहों से यूँ बार -बार मुझे देखना
गालो पर पड़ते ये हँसी के डिंपल
यूँ ही तेरा मुझे देख मुस्कुराना
अपनी अंगुली से बार -बार लटों को घुमाना
कभी दाँतों से चादर का कोना दबाना
कभी शर्मा कर अपनी हथेली में मुँह छुपाना
अपने आप से मुस्कुराकर बात करना
अपने को तरह- तरह से निहारना
कभी समझदारी तो कभी शरारत करना
मुड़-मुड़ कर मेरी तरफ देखना
हसीन ख़्वाब बुनना
फिर उसमे कुछ पल के लिए जीना
टूटे ना ये ख़्वाब इस डर से सिहर जाना
ये ही मुहब्बत है
जो तुम्हें हो गई है
झूठ -" मैंने कहा "
वो बोला ...
"आइना हूँ मै
झूठ नही बोलता !!
© All Rights Reserved
की उस पर नज़र पड़ी
पूछा मैंने ...कि क्या देख रहे हो ?
वो हँस कर बोला
जो मै देख रहा हूँ बताऊँ तुम्हें..
हूँ ...कह कर मैं
सुनने लगी
ये तुम्हारे शाने पर झूलती ज़ुल्फ़ें
हलकी सी हवा से मचल जाती है
ये तेरी पलकों का उठना गिरना
तिरछी निगाहों से यूँ बार -बार मुझे देखना
गालो पर पड़ते ये हँसी के डिंपल
यूँ ही तेरा मुझे देख मुस्कुराना
अपनी अंगुली से बार -बार लटों को घुमाना
कभी दाँतों से चादर का कोना दबाना
कभी शर्मा कर अपनी हथेली में मुँह छुपाना
अपने आप से मुस्कुराकर बात करना
अपने को तरह- तरह से निहारना
कभी समझदारी तो कभी शरारत करना
मुड़-मुड़ कर मेरी तरफ देखना
हसीन ख़्वाब बुनना
फिर उसमे कुछ पल के लिए जीना
टूटे ना ये ख़्वाब इस डर से सिहर जाना
ये ही मुहब्बत है
जो तुम्हें हो गई है
झूठ -" मैंने कहा "
वो बोला ...
"आइना हूँ मै
झूठ नही बोलता !!
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