...

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वो तुम हो
तुम्हें लिखता हूं और फिर मिटा देता हूं,
पता नहीं मैं बार बार क्यों इस आग को हवा देता हूं,
कोई पूछता है जब मुझ से
मेरे दिल में छिपे राज के बारे में,
उसे अपने दिल में धड़कते तुम्हारे नाम को सुना देता हूं।


© shayarique