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जो बच्चा कल था मैं, वही मैं आज हूँ
जो बच्चा कल था मैं, वही मैं आज हूँ
वो चूजा घुल गया मुझमें मैं उड़ता बाज हूँ

मेरे इस बदलाओ पे ज़माना चुप ही रहे
कि मैं उसके कुकर्मों का छुपाया राज हूँ

खुदा तो छोड़ गएँ जाने कब का ये जहां
अब अपने खुदा का मैं ख़ुद ही आवाज़ हूँ

बीच बारिश में भी जलेगी चिता मेरी
चिंगारी दुलम्भ जहा मैं वहाँ पर गाज हूँ
© प्रियांशु सिंह