"खुद की तू जय बोल दे "
ये वक्त हवा का झोंका हैं,
कभी खुसगवार आता है
कभी दुखगवार जाता है!
परछाई भी तेरी न साथी है,
अंधेरा छाते ही मिट जाती है!
अब समय कँहा तू रुक सके,
अब शब्द कँहा तू बोल सके!
भीतर तो तेरे डर भरा है,
बाहर आडंबर की माया है!
ऐंसे-कैंसे तू समर...
कभी खुसगवार आता है
कभी दुखगवार जाता है!
परछाई भी तेरी न साथी है,
अंधेरा छाते ही मिट जाती है!
अब समय कँहा तू रुक सके,
अब शब्द कँहा तू बोल सके!
भीतर तो तेरे डर भरा है,
बाहर आडंबर की माया है!
ऐंसे-कैंसे तू समर...