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विकास/विनाश

© Nand Gopal Agnihotri

स्वरचित - " विकास /विनाश
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जंगल पहाड़ थे कभी,
रौनक ए बहार है ।
गुलदस्तों में पौधों की,
लम्बी कतार है ।
ना ही धूप ना पानी की,
जरूरत है...