#संसार #सागर #पथिक
यहां कोई नहीं तुम्हारा, तुम स्वयं ही संभलना,
हे! संसार-सागर के राही, तुम ज़रा ध्यानपूर्वक चलना,
मोहग्रस्त न होकर, राग-द्वेष से उबरना,
अज्ञानता को छोड़ तुम, स्व-ज्ञान को परखना ।
हे! अज्ञात राह के पथिक, तुम दिशा न भटकना,
स्वयं ही संभलकर,...
हे! संसार-सागर के राही, तुम ज़रा ध्यानपूर्वक चलना,
मोहग्रस्त न होकर, राग-द्वेष से उबरना,
अज्ञानता को छोड़ तुम, स्व-ज्ञान को परखना ।
हे! अज्ञात राह के पथिक, तुम दिशा न भटकना,
स्वयं ही संभलकर,...