...

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झूठ का पर्दा फास
कश्में फिर से खाये जाएंगे
वादे फिर से निभाएं जाएंगे!

एक नाम मिटाये जाएंगे
फिर एक नाम लगाए जाएंगे!

किसे कहता वो शख्स जब
दिल उसका मुतमईन नहीं

जब संग दिल साथ नहीं तब
आंसू ही छुपाये जाएंगे!

जब हम भुलाए जाएंगे
क्या कुछ नहीं सुनाये जाएंगे!

कभी लफ़्ज़ों के सहारे भी
बर्क तजल्ली गिरायें जाएंगे!

हकीकत से रूबरू होकर
सब अच्छा लगने लगता है!

कोई साथ रहे पर अपना नहीं,
दिन कैसे गुज़ारे जाएंगे!






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