#दादी
हमसे दूर गाँव में
दादी नापती थी
आँगन की छाँव से समय
और बताती थी बाबा को
'बेटा लौट आया होगा ड्यूटी से'
हर शाम
लगी रहती थी उनकी आँखें
शहर से आने वाली गैल की तरफ
ढूँढ़ती थी उसमें हमें
जैसे साँझ ढूँढ़ती है दिया
जैसे अपने बछड़े को खोजती है
नयी ब्याता गाय
दादी नापती थी
आँगन की छाँव से समय
और बताती थी बाबा को
'बेटा लौट आया होगा ड्यूटी से'
हर शाम
लगी रहती थी उनकी आँखें
शहर से आने वाली गैल की तरफ
ढूँढ़ती थी उसमें हमें
जैसे साँझ ढूँढ़ती है दिया
जैसे अपने बछड़े को खोजती है
नयी ब्याता गाय
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