...

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आज के लोग
आज के लोग खामोशियों में जीने लगे हैं।
मतलब अपने आप से सिर्फ रखने लगे हैं।
अपने कर्तव्य को ये भूलते जा रहे हैं।
धर्म की यारों बात ही क्या करना अधर्म से अपना वास्ता कर लिये हैं।
अपनी शान शौकत बचाने के लिए अपनी इज्जत तक को बेचने के लिए तैयार रहने लगे हैं।
मुझे डर लगने लगा है आने वाले कल से, क्या आने वाली पीढ़ीयं खामोशियों में ही जीने लगेगी या खामोशियों को ही अपनी जिंदगी मान लेगी। या कुछ करेगी..........
आज के लोग खामोशियों में जीने लगे हैं।
अभी तो नौजवान ही आत्महत्या कर रहे हैं। आने वाले कल में बच्चे भी आत्महत्या करने लगेंगे।
आज के लोग खामोशियों में जीने लगे हैं।
मतलब अपने आप से सिर्फ रखने लगे हैं।

जारी........



© abha