20 views
गजल
तुझसे करके गिला भी क्या होता,
फिर से रुसवा ही बस हुआ होता।
क्या भी करता मैं जिद उसी की थी,
रोक लेता जो बस ख़फा होता।
लोग कहते हैं जो भी कहने दो,
दिल न रोता जो बेवफ़ा होता।
दिल ये टूटा चलो हुआ अच्छा,
वरना ख्वाबों में जी रहा होता।
कश्मकश दूर दिल की हो जाती,
गर वो इंकार कर गया होता।
अब तो बस "शैल" सोचता है ये,
काश उससे न दिल लगा होता।
© शैलशायरी
फिर से रुसवा ही बस हुआ होता।
क्या भी करता मैं जिद उसी की थी,
रोक लेता जो बस ख़फा होता।
लोग कहते हैं जो भी कहने दो,
दिल न रोता जो बेवफ़ा होता।
दिल ये टूटा चलो हुआ अच्छा,
वरना ख्वाबों में जी रहा होता।
कश्मकश दूर दिल की हो जाती,
गर वो इंकार कर गया होता।
अब तो बस "शैल" सोचता है ये,
काश उससे न दिल लगा होता।
© शैलशायरी
Related Stories
17 Likes
5
Comments
17 Likes
5
Comments