...

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आत्मनिर्भर मज़दूर
वो चल रहे है, पैर जल रहे है।।
आंख नम है, आंसू निकल रहे है।।

किसी को फिक्र क्या, फिक्रमंद तो सो रहे है।
अब मज़दूर भी, आत्मनिर्भर बन रहे है।।