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रिध्धी निशोउ
मेरे दो किनारे।
एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका
दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।
एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।
दूजी ओर सास के लाल संग जुड़ा मेरे जीवन भर का किस्सा
एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी
ससुराल में मेरी नन्द है, मध सी मीठी गोली।
मायके में मामा, काका है पिता सी मुस्कान
मायके में भाभी है ममता के खजाने की चाबी,
ससुराल में मेरे प्राणप्रिय सैया जो अभी भगवान के पास है।।
फ़िर भी मेरे साथ है 🙏
#writco
© All Rights Reserved
एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका
दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।
एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।
दूजी ओर सास के लाल संग जुड़ा मेरे जीवन भर का किस्सा
एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी
ससुराल में मेरी नन्द है, मध सी मीठी गोली।
मायके में मामा, काका है पिता सी मुस्कान
मायके में भाभी है ममता के खजाने की चाबी,
ससुराल में मेरे प्राणप्रिय सैया जो अभी भगवान के पास है।।
फ़िर भी मेरे साथ है 🙏
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