...

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आप शिव रहो या राम
आप शिव रहो या राम
कृष्ण रहो या बर्बरीक
स्त्री पुरुष में रहो या अर्धनारीश्वर
सुष्म रहो या दृष्टिगोचर ..

में तो बस आपकी भक्ति के रंग में अनवरत ,अपलक , सर्वस्व आपको द्रिस्तिब्ध गोचर कर अपने हृदये में रख आपके प्रेम में सराबोर भीगा, आपमें आपके लिए निष्काम समर्पित सदा अंत से अन्नतकाल तक इस रंग रास में अबोध सा भ्रमर विचरण पल्ल्वित सा आपसे अपने तक का आत्मीय संबंध की प्रेम रज चाहता हूँ ..में जन्मो जन्म आपका आपके चरणों के प्रतिबिम्ब में अनुराग चाहता हूँ ..में इन स्वांसो ,हृदये की गति को आपके पलको की एकटकि सी माधुरीयता में लय विलीन करना...