...

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हम तुम
एक दिन बस बैठी थी सोचने,
जिंदगी के उन बिखरे हुए पन्नोंको जोड़ने,

शुरुआत से शुरुआत की,
जिसमे बस तेरी ही यादें थी,

वो हमारी कसमे और वो वादे,
वो हमारी अधूरी सी मुलाकातें,

वो देर रात को जग के की गयी बातें,
वो तेरी तड़प में आँखों से बहती हुयी यादें,

तुम्हारी आवाज तो आज तक गूंजती हैं कानो में,
पर अब शायद में नहीं तेरे दिल के ठिकाने में,

कोई भी मुझसे अगर मिल जाता,
वो मेरी नहीं तेरी खबर हैं पूछ जाता,

काश हम पहले जैसे साथ होते,
और एक दूसरे के हाथो में हमारे हाथ होते,