...

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न आँसू बहे न पीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी
मेरे शीने पर एक तीर गयी
तब दिल मेरा एक आह भरा
जब तेरे नैनो की तीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

क्या छल था तेरी बातों में
जो मेरी आँखों मे नीर भरा
जो दिल को मेरे चीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

मैंने क्या सपना देखा था
तुझको अपना देखा था
तूने मुझको ठुकरा करके,
मेरे सपने को तोड़ गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

जब क्या होता हैं कोई अपना,
अपने को धोखा देता हैं।
साहिल पर आते ही लहरे,
फिर बीच समंदर में खीच गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

न आँसू बहे न पीर गयी/चरन सिंह

© Charan singh