यकीन क्यूँ है.
गुजर गयी चाँदनी ठहर गयी हर शमा
ना मिल पाये दो दिल खामोश आसमान
ना शिकवा रहा किसी से अब ना शिकायत
गुजर गया यूँ ही मेरे गम का अब कारवाँ
कहने की सी है मोहब्बत सिर्फ पन्नों पर
मगर...
ना मिल पाये दो दिल खामोश आसमान
ना शिकवा रहा किसी से अब ना शिकायत
गुजर गया यूँ ही मेरे गम का अब कारवाँ
कहने की सी है मोहब्बत सिर्फ पन्नों पर
मगर...