क्या करूँ साली फ़रवरी भी है
ख़ुशी भी है और डर भी है,
दुविधा से भरी ये घड़ी भी है।
चाहत की ख़ातिर साथ हूँ उसके,
अच्छी...
दुविधा से भरी ये घड़ी भी है।
चाहत की ख़ातिर साथ हूँ उसके,
अच्छी...