...

12 views

क्या करूँ साली फ़रवरी भी है
ख़ुशी भी है और डर भी है,

दुविधा से भरी ये घड़ी भी है।



चाहत की ख़ातिर साथ हूँ उसके,

अच्छी भली दोस्त बनी तो है।



सारी ज़िंदगी साथ रहना है,

उसको समझाने की हड़बड़ी भी है।



कह दु मन की बात या छिपा लू,

क्या करूँ साली फ़रवरी भी है।


© manasakshar