...

3 views

किस ओर जाती ये ज़िन्दगी
अब मुझे अंधेरे रास आ रहे है।
क्या दूर जा रही है खुशियां या गम पास आ रहे है।

ये नीला आसमान ये हरियाली।
क्यों नज़र आ रही है मुझे काली काली।।

ये बादलों का शोर है या सन्नाटे शोर कर रहे है।
खिड़की के पर्दे हटाकर देखा मैंने ये मौसम हीं कुछ और कह रहे है।।

ये बारिश की बूंदे नहीं चिंगारियां बरस रही है।
मानो चोट पाकर ज़िन्दगी मरहम को तरस रही है।।

वादियों में आज कितनी नमी हो गयी है।
पर मेरे ज़िन्दगी में तो साँसों की कमी हो गयी है।।

शायद ज़िंदगी की आखिरी घड़ी आ रही है।
हाल-ए-दिल अब तो पूछ लें कि आखिरी साँसे तुझे बुला रही है।


© shalini ✍️


#Life&Life