...

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सपने
वो क्या हैं जो हमें यूँ दिन रात जगाये रहते हैं
सुबह जल्दी उठने की इच्छा न होते हुए भी उठने को मजबूर किये रहते हैं ।
कभी जो मन मार के किताबों को पढ़ने के लिए खुद जो यूँ मना लेते हैं ।
लगता हैं कभी हम भी रहे औरों की तरह फ्री पर फिर अपने महत्व को बताये ये हमें काम में लगे रहने के लिए कहते हैं ।
हाँ ये सपने ही तो हैं जो हमें खुद को काबिल बनाने के लिए लगाए रहते हैं ।
खुद से किये वादों को हर पल याद दिलाये रहते हैं।
जब हारता है मन तो फिर एक नयी शरुआत करने में लगाए रहते हैं ।
जब तक किताबों को न लगाए हाथ मन में एक बेचैनी जगाये रहते हैं ।
हर वक़्त हमें और आगे बढ़ने के लिए लढाये रहते हैं।
हाँ ये हमारे सपने ही तो हैं जो तुम्हे औरों से अलग होने का अहसास दिलाएं रहते हैं
हाँ ये सपने ही तो हैं। ......
.....आराधना दुबे .....
© My quotes on the basis of my life experience and I'm not steal other writers quotes.