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बस लड़ रही हु....
कभी खुद से कभी हालातों से
कभी ज़िंदगी से कभी अपनों से
बस लड़ रही हू
हर रिश्ता झूठा होता होता है यहाँ
रब, सच कुछ ना होता यहा
खेलते है लोग जज़्बातो के साथ
ओर तोड़ते है दिल खिलौनों की तरह
पल में टूट जाते है दिलो के रिश्ते
नही निभाना किसी से रिश्ता अब कोई
बस लड़ रही हू खुद से अब।
कभी ज़िंदगी से कभी अपनों से
बस लड़ रही हू
हर रिश्ता झूठा होता होता है यहाँ
रब, सच कुछ ना होता यहा
खेलते है लोग जज़्बातो के साथ
ओर तोड़ते है दिल खिलौनों की तरह
पल में टूट जाते है दिलो के रिश्ते
नही निभाना किसी से रिश्ता अब कोई
बस लड़ रही हू खुद से अब।
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