...

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तारीख
कुछ तारीखें
तारीख बन जाती हैं

याद है...

आज ही के दिन
दो साल पहले
आपने, मैंने...
नहीं- नहीं हम सबने
ताली और थाली बजायी थी...
फ़िर शुरुआत हुयी
एक अजीब सफ़र की

नौकरी छूटी,
कारोबार बिखरा
घरों में बंद हुए...
सरकारी राशन की लाइन में खड़े हुए

वापसी हुयी
शहरों से गावों तक
मीलों पैदल चलकर

बहुत कुछ बदल गया...

बस नहीं बदला
"विश्वास"


© Shweta Gupta

#ssg_realization_of_life