10 views
तारीख
कुछ तारीखें
तारीख बन जाती हैं
याद है...
आज ही के दिन
दो साल पहले
आपने, मैंने...
नहीं- नहीं हम सबने
ताली और थाली बजायी थी...
फ़िर शुरुआत हुयी
एक अजीब सफ़र की
नौकरी छूटी,
कारोबार बिखरा
घरों में बंद हुए...
सरकारी राशन की लाइन में खड़े हुए
वापसी हुयी
शहरों से गावों तक
मीलों पैदल चलकर
बहुत कुछ बदल गया...
बस नहीं बदला
"विश्वास"
© Shweta Gupta
#ssg_realization_of_life
तारीख बन जाती हैं
याद है...
आज ही के दिन
दो साल पहले
आपने, मैंने...
नहीं- नहीं हम सबने
ताली और थाली बजायी थी...
फ़िर शुरुआत हुयी
एक अजीब सफ़र की
नौकरी छूटी,
कारोबार बिखरा
घरों में बंद हुए...
सरकारी राशन की लाइन में खड़े हुए
वापसी हुयी
शहरों से गावों तक
मीलों पैदल चलकर
बहुत कुछ बदल गया...
बस नहीं बदला
"विश्वास"
© Shweta Gupta
#ssg_realization_of_life
Related Stories
16 Likes
3
Comments
16 Likes
3
Comments