स्त्री बहती नदी की उर्मि सी
स्त्री बहती नदी की उर्मि सी
अपने उर में लिये संताप को
देखा है कैसे सहती है?
वो ख़ामोशी के साथ
बस निरंतर बहती है l
अपने उर में उमड़ते हुए
कितने सवालों को,
डूबो देती है l
ओर अपने किनारों को
कर आलिंगन...
अपने उर में लिये संताप को
देखा है कैसे सहती है?
वो ख़ामोशी के साथ
बस निरंतर बहती है l
अपने उर में उमड़ते हुए
कितने सवालों को,
डूबो देती है l
ओर अपने किनारों को
कर आलिंगन...