...

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आंसू
थे वो आंखों में समाए हुए वो आंसू ,
बिताए हुए लम्हों में समाए वो आंसू ,
दुख मेरा अनेकों बार लोगो ने देखा ,
किसीने श्वास दिया किसीने विश्वास ,

किंतू तड़पते दिल से किसी ने पूछा ,
बेटी की विदाई पे पिता की वेदना ,
विदाई वक्त निकलते भाई के आंसू ,
एक टूटे प्रेम की प्रेमी की वो हालत ,

हर वक्त यादों के सहारे कैसा चला ,
हर वक्त आंसू को कैसे था छिपाया ,
मुस्कान के पीछे छुपे रोती वो आंखे ,
जो पल पल कहती वो प्यार की बाते ,

आंसू की वो धारा जो शब्द बनी है ,
दिलके रुलाते हाल में अब समाई है ,
विदाई करके आ रहा बेटी का पिता ,
नींद भरी आंखों में खिड़की देख रहा ,

बेटी की मुस्कान को आंसू में खोज रहा ,
यादों के सहारे बिताते वो जिंदगी के पल ,
कांपते हुए शरीर से पूछते हर वो पल ,
समय की खुशी से बने काल में समा गए ।


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