25 views
डायरी के पन्नो से....
क्यो ऐसी रीत बनाई
बेटी को क्यो मिलती है
ससुराल से ही आखिरी विदाई....
जुल्म कितने भी सहने पडे
उसको बिना कोई उफ्फ किए
पति की मार क्यो खानी पडे
सबकुछ सहती रहे बिना कुछ कहे
झुटी मुस्कान मुस्कुराती रहे
ना सास-ससुर से इज्जत
ना पति से प्यार मिले....
क्यो ऐसी रीत बनाई
औरत फिर रुढ़िवादी सोच
क्यो तोड ना पाई
जिस बेटी को मां-बाप ने नाजो से पाला था
फिर क्यो बेटी को ब्याहा था
क्यो ऐसी रीत बनाई
बेटी क्यो हो गई अपनो से ही पराई...
बेटी को क्यो मिलती है
ससुराल से ही आखिरी विदाई....
जुल्म कितने भी सहने पडे
उसको बिना कोई उफ्फ किए
पति की मार क्यो खानी पडे
सबकुछ सहती रहे बिना कुछ कहे
झुटी मुस्कान मुस्कुराती रहे
ना सास-ससुर से इज्जत
ना पति से प्यार मिले....
क्यो ऐसी रीत बनाई
औरत फिर रुढ़िवादी सोच
क्यो तोड ना पाई
जिस बेटी को मां-बाप ने नाजो से पाला था
फिर क्यो बेटी को ब्याहा था
क्यो ऐसी रीत बनाई
बेटी क्यो हो गई अपनो से ही पराई...
Related Stories
57 Likes
13
Comments
57 Likes
13
Comments