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कायाकल्प
उम्मीद की किरण,
न करने देना कभी हरण।
मत होने देना जुदा
रख स्वयं से,दूसरी खुदा।
बाकी सब छलावा,
झूठ का महज दिखावा।
फरेब की ये बस्ती,
मिटायेगी तेरी ही हस्ती।
मत घबरा शिकस्त,
गलत को करिए निरस्त।
रखो बुलंद हौंसले,
टूटें न विश्वास के घोंसले।
दामन बस ले थाम,
हो खास चाहे फिर आम।
उम्मीदों को न छोड़,
कायाकल्प से होता जोड़।
© Navneet Gill
न करने देना कभी हरण।
मत होने देना जुदा
रख स्वयं से,दूसरी खुदा।
बाकी सब छलावा,
झूठ का महज दिखावा।
फरेब की ये बस्ती,
मिटायेगी तेरी ही हस्ती।
मत घबरा शिकस्त,
गलत को करिए निरस्त।
रखो बुलंद हौंसले,
टूटें न विश्वास के घोंसले।
दामन बस ले थाम,
हो खास चाहे फिर आम।
उम्मीदों को न छोड़,
कायाकल्प से होता जोड़।
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