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जज्बात हमारे
कर रहे हैं नैन क्यों बरसात हमारे।
अब भी नहीं समझी तुम हालात हमारे।
सिर्फ चेहरा तुम हमारा देख के रह गए।
काश! समझ सकते दिल के जज्बात हमारे।।
क्यों थामे नहीं चूमे नहीं हाथ तुम्हारे
हमने ये अच्छा न किया साथ तुम्हारे
भटकते नहीं फिरते नहीं यूं दर ब दर मारे।
ऐ काश तुम होती जो अगर साथ हमारे।।
चलो सोच कर यही अब कर लेंगे सब्र हम।
तुमसे नसीब में ना थी मुलाकात हमारे।
© राम अवतार "राम"
अब भी नहीं समझी तुम हालात हमारे।
सिर्फ चेहरा तुम हमारा देख के रह गए।
काश! समझ सकते दिल के जज्बात हमारे।।
क्यों थामे नहीं चूमे नहीं हाथ तुम्हारे
हमने ये अच्छा न किया साथ तुम्हारे
भटकते नहीं फिरते नहीं यूं दर ब दर मारे।
ऐ काश तुम होती जो अगर साथ हमारे।।
चलो सोच कर यही अब कर लेंगे सब्र हम।
तुमसे नसीब में ना थी मुलाकात हमारे।
© राम अवतार "राम"
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